सुन लो किसान की गुहार / सुमन शर्मा
ज़िन्दगी की फसलों को लहलहाता है, अन्न उगाता है,अन्नदाता है। धरती से जुड़ा वजूद उसका किसान,हलधर कहलाता है! खुद भूखा रहकर भी, औरों का पेट वह भरता है, क़र्ज़ तले दबा रहक...
ग़ज़ल /अश्विनी जेतली
कभी फूलों सी खिलती है कभी पत्तों सी झरती है सजन की याद इस दिल में अजब से रंग भरती है चली आती है उनकी याद अक्सर दिल के आंगन में कभी खुशबू तो कभी चांदनी बन कर बि...
ਲੁਧਿਆਣਾ: 9 ਦਸੰਬਰ ਜੀ ਜੀ ਐੱਨ ਖਾਲਸਾ ਕਾਲਿਜ ਲੁਧਿਆਣਾ ਦੇ ਪੋਸਟ ਗਰੈਜੂਏਟ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿਭਾਗ ਵੱਲੋਂ 12 ਦਸੰਬਰ ਸ਼ਾਮ 5.30 ਵਜੇ ਭਾਰਤੀ ਸਮੇਂ ਮੁਤਾਬਕ 1.00 ਦੁਪਹਿਰ ਯੂਰਪੀਨ ਸਮੇਂ ਮੁਤਾਬਕ 7:00 ਵਜੇ ਸਵੇਰ ਟੋਰੰਟੋ ਸਮ...
ਲੁਧਿਆਣਾ: 9 ਦਸੰਬਰ ਜੀ ਜੀ ਐੱਨ ਖਾਲਸਾ ਕਾਲਿਜ ਲੁਧਿਆਣਾ ਦੇ ਪੋਸਟ ਗਰੈਜੂਏਟ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿਭਾਗ ਵੱਲੋਂ 12 ਦਸੰਬਰ ਸ਼ਾਮ 5.30 ਵਜੇ ਭਾਰਤੀ ਸਮੇਂ ਮੁਤਾਬਕ 1.00 ਦੁਪਹਿਰ ਯੂਰਪੀਨ ਸਮੇਂ ਮੁਤਾਬਕ 7:00 ਵਜੇ ਸਵੇਰ ਟੋਰੰਟੋ ਸਮ...
बाल कविता / लालच बुरी बला है / राजू जेटली 'ओम'
सुनो साथियों सुनो दोस्तों कहता मैं बात पते की, लालच बुरी बला है, ये बात गांठ बांधने की, कैडबरी �"र डेरी मिल्क तुम्हें खूब ललचायेंगी, केक �"र पेस्ट्री भी लार तुम्हारी ट...
लुधियाना, 4 अक्तुबर (कुनाल जेटली) - राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिन 2अक्टूबर को ...
कविता / कपड़े और रिश्ते / राजू जेटली *ओम*
रिश्ते भी कपड़ों की मानिंद फटते उधड़ते रहते हैं, कभी रफ़ू कभी सिलाई तो कभी तुरपाई चाहते हैं l दोनों ही बड़े एहतियात से बुने, बांधे और जोड़े जाते हैं, एक में धागे तो दूजे मे...
ਗ਼ਜ਼ਲ / ਅਸ਼ਵਨੀ ਜੇਤਲੀ
ਗ਼ਜ਼ਲ / ਅਸ਼ਵਨੀ ਜੇਤਲੀ ਸਾਰਾ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ ਜਗਮਗ ਕਰਦਾ, ਸਾਡੇ ਵਿਹੜੇ ਨੇਰ੍ਹਾ ਕਿਉਂ ਏਧਰ ਪੱਸਰੀ ਰਾਤ ਦੀ ਕਾਲਖ, �"ਧਰ ਸੋਨ-ਸਵੇਰਾ, ਕਿਉਂ ਕਾਣੀ ਵੰਡ ਦਾ ਠੇਕਾ ਅੱਜਕਲ੍ਹ, ਮੁਨਸਿਫ਼ ਨੇ ਹੀ ਲੈ ਲਿਆ ਏ ਖ਼ਵਰੇ ਪੱਖ ਅਮ...
कविता / सारस्वत / राजू जेटली "ओम"
हम उन ऋषियों के वंशज हैं, जो भारतवर्ष की आधार शिला, जिनके तप-त्याग से ही सबको, ये सुंदर सुखी संसार मिला l हम सरस्वती तटों पर रहने वाले, हम श्रेष्ठधर्म कल्पना करने ...
कविता / वक्त / कृपाल सिंह कालडा
मैं चिरागों की हिफाजत भला कैसे करता।। वक्त तो हर रोज सूरज को भी बुझा देता है।। अमीर को अमीरी शायद तंग करती हो । । पर गरीब को गरीबी में रहना ही मज़ा द...