एक महान साहित्यकार का जन्म….

"जन-गण-मन..." श्री रवींद्रनाथ टैगोर जी द्वारा लिखा गया हमारा यह राष्ट्रिय गान, भारत की पहचान है, जिस से हर भारतीय का, चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहता हो, जब ये शब्द कानों में पड़ते हैं, तो शरीर का रोम-रोम देशभक्ति की लहरों से खिल उठता है, और सीना गर्व से चौड़ा एवं ज़हन-ओ-दिल भारतीय होने का गर्व मानता है,

मानता है ना...!

और माने भी क्यों ना, आखिर भारत को साहित्य के ज़रिये एकता के सूत्र में पिरोने वाले इस राष्ट्रीय गान का इतिहास लगभग 114 वर्ष पुराना है। जी हाँ, इसे सन: 1905 में, बंगाली भाषा में लिखा गया और सब से पहले कोलकाता में 21 दिसंबर 1911 में गाया गया था  और आज भी हर धर्म-जात के भेदभाव को मिटा कर, अनेकता में एकता और अखंडता का प्रतीक बन कर दुनिया के सामने भारत की अनूठी पहचान बन कर खड़ा है।

ना सिर्फ राष्ट्रीय गान, बल्कि साहित्य के क्षेत्र में नोबल पुरुस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय भी थे श्री रवींद्रनाथ टैगोर इसके आलावा दार्शनिक शिक्षा, कविता संग्रह, संगीत कला और मौलिक शिक्षा के क्षेत्र में भी इनका काफी देन रहा है।

आज हम, इन महान शख्सियत के 159वें जन्म दिवस की समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं और दिल से सलाम करते है श्री रवींद्रनाथ टैगोर जी को,

जिन्होंने साहित्य को बढ़ाया,

जिन्होंने कई अधिकार दिलाया,

जिन्होंने हम सबको भारतीय होने का गौरव महसूस करवाया!

सच में इनका जन्म भारत के लिए वरदान है और हम खुशकिस्मत हैं, इनकी रचनाओं का आज भी हर भारतीय हिस्सा है ।

जय हिन्द

 

-आस्था