माँ मेरी रब का तू दूसरा रूप है.

जब भी ठुकरा दिया इस जहाँ ने मुझे

या कि घेरा किसी इम्तिहाँ ने मुझे

तब सहारा दिया मेरी माँ ने मुझे


माँ के जैसी खुशी मैनें पाई नहीं

माँ सी मुस्कान फूलों में  आई नहीं

ना लुभाया किसी गुलिस्ताँ ने मुझे

बस सहारा दिया मेरी माँ ने मुझे


हाँ यही है मेरी हर खुशी का सबब

घर से निकली दुआ लेके माँ की मैं जब

लिया पनाह में ज़मीं आसमाँ ने मुझे

और सहारा दिया मेरी माँ ने मुझे


तू हसीं छाँव है नर्म सी धूप है 

माँ मेरी रब का तू दूसरा रूप है

रब ने पाला है और मेरी माँ ने मुझे

हाँ सहारा दिया मेरी माँ ने मुझे


तेरी पूजा करूँ मेरी चाहत है माँ

तेरे कदमों तले मेरी जन्नत है माँ

जिया सुकूँ तेरे आँचल की छाँ ने मुझे

हाँ सहारा दिया  मेरी माँ ने मुझे


                                ~शीबा सैफी