कविता / वो है मेरी मां .
जिंदगी भी कर दूं जिसके नाम,
वो है मेरी मां।
कर दूं जिसके लिए ये जहां एक,
वो है मेरी मां।
जिसने दी ये जिंदगी मुझे दर्द सहकर,
वो है मेरी मां।
जिसके सामने दुनिया की कोई खुशी बड़ी नहीं,
वो है मेरी मां।
जिसकी दुआ में है कायनात को बदलने की ताकत,
वो है मेरी मां।
जिसके बिना एक पल भी जीना मुमकिन नहीं,
वो है मेरी मां।
जिसके आगे मैं खुदा से भी पहले सर झुकाऊ,
वो है मेरी मां।
जिसका रूप है परमात्मा के स्वरूप जैसा,
वो है मेरी मां।
जिसे लफ्जों में बयां करना मुमकिन नहीं,
वो है मेरी मां।
- दीपक ठाकुर