लिखते लिखते आंखें नम हैं.

मां के लिए बैठूं तो 

अल्फ़ाज़ बहुत कम हैं

ज्यादा तो कुछ लिख नहीं सकता

क्यूंकि लिखते लिखते मेरी आंखें नम हैं


दर्द सहकर जन्म देती है

कभी ना जिक्र करती है

मां अगर दे दे दुआ

तो सारी दवाइयां फीकी पड़ती है


झेलकर सारी उम्र दुख और तकलीफें

परिवार को पालती है

वो मां ही होती है

जो बच्चों के लिए कुछ भी करना जानती है


आंचल में जब कभी इसके लेटो

सारे दुख भूल जाते हैं

कमालो चाहे लाखों करोड़ों इस जग में

कभी ना मां के आंचल सा सुकून दे पाते हैं


आंच जो आए कभी परिवार पर

सारी परिस्थितियां झेलने को तैयार है

हमेशा खड़ी है साथ में 

क्यू करती इतना प्यार है


मां का अगर साथ हो तो

गर्व महसूस होता है

दिखे ना अगर मां सामने

तो छोटा बच्चा बहुत रोता है


मां का ही एक रूप होती है नारी

मां पर ही निर्भर है दुनिया सारी

चाहे हो इंसान की चाहे हो जानवर की

मां अपना काम बखूबी निभाना जानती है


वो मां ही होती है जो 

पूरे घर को संभालना जानती है


मां के लिए लिखने बैठूं तो 

तो अल्फ़ाज़ बहुत कम हैं

ज्यादा तो कुछ लिख नहीं सकता 

क्यूंकि लिखते लिखते मेरी आंखें नम हैं

              Happy mother's Day

                                        Anmol Siyal