सौम्य सूरत, दिव्य मूरत / ललित बेरी.

बेपरवाह हवा की लहर

सूरज का तेज लिए

चाँद की शीतलता लिए

बेहद सादगी में लिपटी

बेमिसाल सौम्य सूरत हो

काँटों में खिले गुलाब सी

दिव्य शक्ति की मूरत हो

 

ललित बेरी