कविता / चेहरे.

 


यहां कौन असल चेहरा दिखाता है,

हर व्यक्ति चेहरे पर अपने मुखौटा लगाता है।


दिल में बात होती है कुछ,

मगर जुबां से कुछ और बयां कर जाता है।


चेहरे पर होती है मुस्कान,

मगर जेहन दर्द से भरा होता है।


हो ना जाए कोई उदास,

चेहरे को देख कर उसके,

ये सोच कर...

कभी कभी झूठी खुशी का मुखौटा भी लगाना पड़ता है।


कभी वक़्त से तो कभी ज़िन्दगी से,

हर व्यक्ति समझौता करता है।

यहां कौन असल चेहरा दिखाता है,

हर व्यक्ति चेहरे पर अपने मुखौटा लगाता है....

दीपक ठाकुर