सूरज.
उगते सूरज की चमक,
भरी दुपहरी की तपिश,
ढलती शाम की लालिमा,
दिल में उतार लेना,
ये रंग हैं कुदरत के,
जीवन संवार लेना।
मिलें हैं जो क्षण दो चार,
इन संग गुज़ार लेना,
ये रंग हैं कुदरत के,
जीवन संवार लेना।
खिले जो फूल पतझड़ में,
सहला के प्यार देना,
मुरझाते फूलों की सौरभ को,
दिल में पनाह देना,
ये रंग हैं कुदरत के,
जीवन संवार लेना।
पक्षियों की चहचहाहट,
हवाओं की सरसराहट,
बूँदों की है ये रिमझिम,
मन में उतार लेना,
ये रंग हैं कुदरत के,
जीवन संवार लेना।
जीवन की हैं ये निधियाँ,
ईश्वर की ये है रचना,
है यही अभ्यर्थना,
इनके लिए तुम अपनी,
बाँहें पसार लेना,
कुदरत के इन रंगों से,
जीवन संवार लेना।
मिले हैं जो क्षण दो चार
इन संग गुज़ार लेना।
सुमन शर्मा
११/६/२०२०