मुलाकात. / दीपक ठाकुर.
बातों के सिलसिले यूं ही चलते रहें,
तुम बैठो करीब मेरे,
तुमसे निगाहें मिलाते रहें,
दिल की बात दिल से कहते रहें,
धड़कनों को तुम्हारी हम सुनते रहें।
माना कि हैं फासले दरमियान हमारे,
क्या हुआ जो होते नहीं दीदार तुम्हारे,
दिल की बात से तो रूबरू हो तुम,
फिर किस बात की फिक्र सताए।
दीपक ठाकुर