कविता / खता / दीपक ठाकुर.
कविता :- खता
क्या खता मुझसे हुई,
मुझको तू बता,
क्यों तू मुझसे दूर हुई,
मुझको तू बता।
क्या नहीं किया मैंने,
तुझको पाने को,
हर खुशी दे दी मैंने,
तुझको पाने को,
फिर भी तू क्यों दूर हुई,
मुझको तू बता,
क्या खता मुझसे हुई,
मुझको तू बता।
हद से भी ज्यादा तुझसे प्यार किया,
क्या ये थी खता?
आंख मूंद विश्वास किया,
क्या ये थी खता?
क्या खता मुझसे हुई,
मुझको तू बता।
क्या सिला दिया तूने,
मेरे प्यार का।
क्यों तोड़ा ये दिल मेरा,
प्यार का,
क्या खता मुझसे हुई,
मुझको तू बता,
क्यों तू मुझसे दूर हुई,
मुझको तू बता।
नहीं था यकीन तो मुझसे प्यार किया ही क्यों,
फिर मिलने का सिलसिला शुरू किया ही क्यों,
जब जाना ही था एक दिन मुझे बिन बताए,
मेरे साथ प्यार का नाटक किया ही क्यों,
क्या खता हमसे हुई,
मुझको तू बता,
क्यों तू मुझसे दूर हुई,
मुझको तू बता।
दीपक ठाकुर