पर्दा / अनमोल सियाल.
ये सियासती दौर भी कैसा है
बोलना जिसको आता है उसको दबा देते हैं
शहादत पाई जिन वीरों ने
उन्हें मुआवजा प्रदान कर देते हैं
भरोसा करके हम सरकारों पर
चुनाव में इन्हें जिताते हैं
फिर भी ये क्यूं हमें
धोखा हर बार दे जाते हैं
हिन्दू ,मुस्लिम, सिख और ईसाई
सभी मिलकर रहना जानते हैं
फिर क्यों ये झगड़े वाला बयां देकर
सभी को आपस में लड़वाते हैं
बात तो करनी चाहता हूं शहीदों की
मगर दिल मेरा इशारा कुछ और कर रहा है
नाता चाहे नहीं है मेरा इनसे
फिर भी लिखने को मजबूर कर रहा है
शहीदों ने तो देदी अपनी कुर्बानी
हथियार क्यों गैरों के हाथों में थमाए हैं
बोल नहीं पाएगा कोई भी सच्चाई
इस बात पर कोई ना बहिष्कार करने आगे आए हैं
शहीदी तो हुई जवानों की
कैसा मज़ाक लोगों ने बनाया है
अपने मनोरंजन के चक्कर में
अपने ही देश का सामान जलाया है
कोई था छत्तीसगढ़ से , कोई था पंजाब से
कोई था बिहार से , कोई था तेलंगाना से
जो जो बढ़े आगे उनको ही शहादत प्राप्त हुई
क्या थे वे हथियारबंद सीमा पर क्यों ना उन्होंने गोली चलाई
कभी कहते हैं हम है तैयार लड़ने को
कभी समझौते पर उतर आते हैं
क्या नहीं है इनकी भुजाओं में दम या
सिर्फ हवाई किले बनाना जानते हैं
घरवाले भी फौजी शहीदों के
सरकार से इंसाफ की माग करते हैं
कर पाएंगे क्या ये चीन से मुकाबला
सवाल ये भारतवासी करते हैं
उठ पाएगा क्या इस झूठ से पर्दा
मेरा ये सरकार से सवाल है
या भर गया है सभी के मन में गर्दा
सियासती दौर पर मचा पड़ा पूरी दुनिया में बवाल है
अनमोल सियाल