*कर्मों का फल*/शीबा सैफी .
अपने कर्मों का फल है या कोई जादू टोना है
कुदरत की ये कोई वबा है जिसका नाम करोना है
अना में अपनी रखते थे हम इक-दूजे से जो दूरी
अब ये दूरी मजबूरी है तो किस बात का रोना है
जो भी आया इस की ज़द में उसको ऐसे अलग किया
खेलते जैसे टूट गया बच्चे से कोई खिलौना है
बचना है गर इस आफत से तो याद से हम ये काम करें
मास्क लगा कर रखना हरदम और हाथ भी हमको धोना है
अब भी करलें तौबा रब से मिलजुल कर जीना सीखें
वरना हम काटेंगे वो ही बीज जो हमको बोना है
‘शीबा' जिस मोती की माला ख़ता से मेरी टूट गई
प्यार के मोती इस माला में मिलकर हमें पिरोना है
अपने कर्मों का फल है या कोई जादू टोना है
कुदरत की ये कोई वबा है जिसका नाम करोना है
~शीबा सैफी