कविता /आवारा पत्थर/ शैली वाधवा.

 

 

दे दे के ठोकरें 

तुमने इसे 

ऐ दुनिया... 

ये क्या कर दिया..?

राह के आवारा पत्थर को

 खुदा कर दिया,

अब न कर सवाल इससे, 

अब न देगा ये जवाब,

जलते हुए एक शख़्स को

 दीया कर दिया

दे दे के ठोकरें.....


कर लेता है सब कबूल,

अब दो गाली, या चढ़ाओ फूल,

तुमने ही, 

हां... तुम सबने मिलकर

इसे खुद से जुदा कर दिया ।