जितना आसान सा शब्द है मौत.
मौत जितना आसान सा शब्द है
इसे समझना उतना ही मुश्किल
कोई इंसान अगर आत्महत्या करता है
तो वह या ता लोगों का सताया हुआ होता है, या उसके घर में कोई दिक्कत होती है
या तो वह किसी बढ़ी मानसिक बीमारी का शिकार होता है ।
परेशानी में क्यूं है डूबा रहता
कोई भी उसे समझ ना पाता है
यूं ही मरता नहीं कोई
मार दिया जाता है
जाने सभी उसको उसके नाम से
नहीं समझ किसी के भी मगर आता
समझता नहीं है उसे कोई
सपने भी वह खूब है सजाता
झेलते रहता है वह दुख और तकलीफें
समाज के ताने भी वह सह जाता है
बताता नहीं है वो किसी को
अपने अंदर ही अंदर दबता जाता है
लगाकर उसपे लांछन
समाज भी ताने कस्ता रहता है
ना जाने वो किस सोच में
वे दिनभर गुपचुप होकर डूबा रहता है
फ़िक्र नहीं है उसे किसी की भी
ऐसा भी आरोप लगाते हैं
इसी तानों से तंग आकर
उसका मौत को गले लगाना भाता है
परेशानी कोई समझे ना उसकी
क्यू कोई समझ ना पाता है
यूं ही मरता नहीं कोई
मार दिया जाता है
अनमोल सियाल