आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत*अ.

 

आत्मनिर्भरता का मतलब किसी व्यक्ति की उस स्थिति से है कि वह किसी कार्य के लिए दूसरे व्यक्ति पर निर्भर ना रहे।आत्मनिर्भरता एक सकारात्मक शब्द है।यह सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।व्यक्ति अगर आत्मनिर्भर हो तो उसे दूसरे व्यक्ति की ज़रूरत बहुत कम पड़ेगी,मुसीबत के समय वह और भी मजबूत बन जाता है।यही बातें देश पर भी लागू होती हैं।हमारा देश बहुत बड़ा है।हमारे देश में कुशल नौजवानों की कमी नहीं है।बस उनके उत्साह वर्धन की आवश्यक्ता है।अगर ऐसा होता है तो हमारा देश भी आत्मनिर्भर बन सकता है।हाल ही में कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की है।कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों में हम मास्क,पी.पी.ई किट और सैनेटाईज़र के लिए चीन पर निर्भर  थे,लेकिन अब ये सारी चीज़ें हमारे देश में उपलब्ध हैं।


आत्मनिर्भर होना हर व्यक्ति,समाज और राष्ट्र का स्वप्न होता है।हमारी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी कहा है-"एक राष्ट्र की शक्ति उसकी आत्मनिर्भरता में है,दूसरों से उधार लेकर काम चलाने में नहीं" आत्मनिर्भरता से ही मनुष्य की प्रग्रति सम्भव है।वर्तमान समय में यदि हम इतिहास के पृष्ठों को पलटकर देखें,जब तक भारत प्रतंत्र था,यह अपने विकास के लिए लोगों पर निर्भर था।लोग चाह कर भी अपना और देश का विकास नहीं कर सकते थे,किन्तु स्वतंत्रता के बाद भारत आत्मनिर्भरता की और अग्रसर हुआ और आज स्थिति यह है कि यह विश्व में कोहिनूर की तरह चमकता है।हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की आवश्यक्ता पर बल दिया है।भारत को उस शाहीन (बाज़) की तरह ऊँची उड़ान भरनी चाहिए जो ऊपर पहुँच कर भी हर जीव पर नज़र रखता है।


जैसे कि हम लम्बे समय से कोरोना महामारी में मकड़ी की जाल की तरह चारों और से घिरे हुए हैं।जिसने बेरोज़गारी ,अर्थव्यवस्था और अन्य चीज़ों को जन्म दिया है। वहीं दूसरी और आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को भी योगदान दिया है।हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्वप्न था कि भारत स्वदेशी चीज़ों को अपनाए तथा देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए।वर्तमान समय में मुझे आज उनका स्वप्न पूरा होते नज़र आ रहा है।आत्मनिर्भर का मतलब यह नहीं है कि हम दूसरे देशों के सामान का आयात बन्द कर दें।इसका मतलब यह है कि हमारा खुद का सामान इतना सस्ता और अच्छा हो लोग विदेश के माल को छोड़कर स्वयं उसे खरीदें।


देश के आत्मनिर्भर होने के कई फायदे हैं।हर वस्तु का उत्पादन अपने देश में करने से उद्योगों में बढ़ोतरी होगी,बेरोज़गारी देश से खत्म हो जाएगी और गरीबी का दर भी खत्म हो जाएगा।हमें किसी वस्तु के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए सरकार ने अन्य नए कदम उठाए हैं।कहा गया है कि ज़बरदस्ती कराया गया काम कुछ वर्ष परन्तु स्वेच्छा से कराया गया काम उम्र भर चलता है।


अत: अंत में मैं कहना चाहूंगी कि जिस राष्ट्र की मिट्टी में पले बढ़े,जिस राष्ट्र का हमने अन्न खाया क्यों न उस राष्ट्र का कर्ज हम स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर,भारत को विकासशील नहीं बल्कि विकसित देशों में शामिल करें क्योंकि आत्मनिर्भरता का मज़ाक उड़ाना स्वयं अपने वजूद का मज़ाक उड़ाना है।और आत्मनिर्भर हम 'मैं' को त्याग कर 'हम' को अपनाकर ही पूरा कर पायेंगे। तभी हम पूरी तरह से कह पायेंगे कि "हाँ ! मैं भारत का निवासी हूँ" ।


सारा सैफी

कक्षा- नवमीं

दून अॉक्सफोर्ड स्कूल

लुधियाना,पंजाब