कविता / वक्त / कृपाल सिंह कालडा .

 


मैं चिरागों की हिफाजत 

भला कैसे करता।।

वक्त तो हर रोज 

सूरज को भी बुझा देता है।।


अमीर को अमीरी शायद

तंग करती हो । ।

पर गरीब को गरीबी में

रहना ही मज़ा देता है । ।


सोता है बेफिकरी की नीँद

जिसको फिकर न हो । ।

गरीब को तो बस रोटी का फिक़र ही जगा देता है


हर गुनाहगार को सरकार 

पकड़ नहीँ सकती । ।

कुछ गुनाहोँ की सॹा

खुदा भी देता है ।।


करते हैँ लोग अंहकार

अपनी हसती का । ।

पर ‘वो’ एक ही झटके मेँ

मिट्टी मेँ मिला देता है


होगा शायद ही कोई 

जो जीवन सफल बना रहा हो

वरना ‘किरपाल’ तो बस

यूं ही समय गँवा लेता है


Kirpal Singh Kalra Adv.,

Ldh.9814245699