बाल कविता / लालच बुरी बला है / राजू जेटली 'ओम' .

 


सुनो साथियों सुनो दोस्तों कहता मैं बात पते की,

लालच बुरी बला है, ये बात गांठ बांधने की,

कैडबरी �"र डेरी मिल्क तुम्हें खूब ललचायेंगी,

केक �"र पेस्ट्री भी लार तुम्हारी टपकायेंगी,

एक मिले तो दो, दो मिले तो चार का लालच तुम्हें दिलाएंगी,

देख सुंदर, रंग बिरंगे कपड़े मन तुम्हारा मचल उठेगा,

जो न दिलवाए पापा मम्मी ने तो ज़िद करने को कह उठेगा,

एग्ज़ाम में फर्स्ट रैंक लाने की इच्छा जब मन में जागेगी,

मेहनत से नहीं तो कॉपी करने की सोच दिमाग में आएगी,

जब लालच कभी कोई मन में आये,

तो मुर्गी �"र अंडे की कहानी को   कर लेना याद,

एक साथ पाने की इच्छा में सब होता बर्बाद,

मुर्गी �"र अंडे में से कुछ भी न आता हाथ,

छल, कपट, बेईमानी कर दोस्तों से आज जीत तो जाओगे,

कल जब दोस्त न होंगे साथ तो खुद को बहुत अकेला पाओगे,

रखना यह बात हमेशा याद, जो बच्चा खो देता अपना ईमान,

रूठ जाते उससे सभी, दोस्त मित्र, भाई बहन और भगवान,

सच्चाई �"र मेहनत से ही हम पा  जाएंगे मंज़िल,

पापा मम्मी �"र टीचर मैडम के बनेंगे मान सम्मान,

लालच, लोभ, मोह पर नहीं रखेंगे हम अपनी बुनियाद,

मुर्गी और अंडे की कहानी का सबक सदा रहेगा याद ।


राजू जेटली "�"म"