A Hindi Nazam By Sara Saifi / सूखा पत्ता बोला.
सूखा पत्ता तेज़ हवा से
उड़कर मेरे घर आया
इक ठोकर से मैनें उसको
जब आगे को सरकाया
बोला यूँ ना ठुकरा मुझको
मुझ पर भी हरियाली थी
पँछी भी सब खुश थे मुझसे
खुश मुझसे हर डाली थी
तेज़ कभी सूरज की किरणें
मेरे ऊपर पड़ती थी
मैं तपता था कड़ी धूप में
करता था तुम पर साया
सूखा पत्ता तेज़ हवा से
उड़कर मेरे घर आया
आज भी आग में जलकर मैं
सेक तुम्हें दे सकता हूँ
अपने ऊपर आज भी तेरे
दुःख सारे ले सकता हूँ
वो तो एक इन्सान है जिसने
काम लिया �"र ठुकराया
सूखा पत्ता तेज़ हवा से
उड़कर मेरे घर आया
नज़र में इक सूखे पत्ते की
इतनी है बस ज़ात मेरी
जग में मेरी हस्ती क्या है
�"र क्या है �"क़ात मेरी
यूँ सूखे पत्ते ने मुझको
मैं क्या हूँ ये समझाया
सूखा पत्ता तेज़ हवा से
उड़कर मेरे घर आया