नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती पर पुष्पांजलि / ललित बेरी .
मातृभूमि का सपूत हूँ मैं
सौ बार मर कर अमर कहलाऊँगा
ऐ काले दिल के गोरे अंग्रेजो
तुमको मिटाकर ही चैन पाऊंगा
तुम हो जालिम, सितमगर, मक्कार
तुमसे बड़ा ना कोई त्रिलोक में गद्दार
कायरों की तरह पीठ पर घोंपते कटार
ऐ काले दिल के गोरे अंग्रेजो
तुम्हारे ज़ुल्मों से ना दहशत खाऊंगा
आये थे मेरे वतन में टुकड़े खाने
भव्यता देख लगे लार टपकाने
लगे कुटिल नीति के बान चलाने
ऐ काले दिल के गोरे अंग्रेजो
तुम्हारी करतूतों से जग को अवगत करवाऊंगा
फरेब के जाल से भाई भाई को लड़वाया
करके नाजायज कब्जा हमें ठेंगा दिखलाया
निर्दोष भारतियों को सूली पर चढवाया
ऐ काले दिल के गोरे अंग्रेजो
वादा है एक दिन तुम्हारा तख्ता पलटाऊंगा
क्रांतिकारी का दिल धधकता मेरे सीने में
भारत ही बसा मेरे खून पसीने में
खौलता है खून गुलाम होकर जीने में
ऐ काले दिल के गोरे अंग्रेजो
खदेड़ कर तुमको आज़ाद ध्वज फहराउंगा
ललित बेरी