अगर वो देखता / अश्विनी जेटली 'प्रेम'.
उसकी यादें गईं हैं आज फिर रुला के मुझे।
जाने मिलता है भला क्या उन्हें सता के मुझे।
मना कर ले भी मैं आता रूठ के जाने वाले को,
अगर जाता वो कोई अता पता बता के मुझे।
भुलाने की ही कोशिश में बहुत तडपा होगा,
खुश तो वो भी नहीं होगा कभी भुला के मुझे।
शायद मेरे हालात पे इतबार वो भी कर लेता,
अगर वो देखता इक बार कहीं आ के मुझे।
हवा नाराज़ सी फ़िर यूं ना गुज़रे आंगन से,
ज़रूर जाए कोई नग़मा ही वो सुना के मुझे।
नज़र ना आऊं किसी और को मैं तेरे सिवा,
रख ले मुझसे ही अगर तू कहीं छुपा के मुझे।
दिल ये चाहे कि तेरे प्यार का सागर इक दिन,
अपनी लहरों से ही ले जाए कहीं बहा के मुझे।