यह सावन .
जब भी कम्बख्त सावन आता है
बादलों के साथ मुझे भी रुलाता है
यह रिमझिम बरसता हुआ पानी
मेरे दिल को बेहद तड़पाता है
यादों का तीर कमान से निकलकर
रूह को छलनी कर जाता है
तेरे संग बिताया हर एक लम्हा
आज भी सुखद एहसास दिलाता है
बारिश में धोकर अपने आँसू
दुनिया के सामने ' ललित ' मुस्कराता है
( ललित बेरी)