मुझे तुमसे मोहब्बत है / ललित बेरी.

मुझे तुमसे मोहब्बत है,
मगर उसमें कोई वासना नहीं,
यह कोई देह की तृष्णा नहीं,
यह आत्मा की पुकार है,
जैसे उसको पाने की इच्छा, जो निराकार है।

तेरी आँखों में दिखती है जो चमक,
छू जाती है मेरी रूह को,
तेरी हँसी की हल्की सी खनक,
समा जाती है मेरे भीतर शान्ति बनकर।

मुझे तुमसे मोहब्बत है,
औ र यह मोहब्बत...
एक दीपक है,
जो जलता है, 
पर जलाता नहीं,
एक प्रेम है
जो बाँधता नहीं,
बस मुक्त करता है , 
हर भावना से, हर वासना से।

( ललित बेरी)