दिया जलाना कब मना है .

घोर अंधेरा है तो क्या हुआ 

दिया जलाना कब मना है 

माना की मंज़िल अभी दूर है 

पर रास्ते से नज़दीकियाँ बढ़ाना कब मना है 

कोई पथ में डगमगा भी रहा हो मगर  

हाथ बढ़ाना कब मना है 

रास्ता भटक भी गए हों तो क्या 

रास्ता अपने आप बनाना कब मना है 

चलते चलते प्यास लगे तो 

पानी की तलाश में जाना कब मना है 

रास्ते में छाया नहीं है तो क्या 

वृक्ष लगाना कब मना है 

है जीवन इक मृगतृष्णा तो क्या 

फिर भी मुस्कुराते रहना कब मना है 

-ओंकार नागपाल