अभी और रंग बाकी है.
कुदरत के आसमान से अभी और रंग बाकी है, तेरे रंग वह बहुत देख चुका, अब उसकी कामना बाकी है।
तू जो रोता है तो ग़मो की चादर में डूब जाता है,
उसकी बारिश से सारा जहांन नीवन हो जाता है।
तू जो गर्मी से झिलमिलाता है,
वो अपने सूरज से तुझे खाने को बहुत कुछ दे जाता है।
तू जो सर्दी की सुबहा का आनन्द उठाता है,
वो अपने शीतल जल से मछलियों को जीवन दे जाता है।
कुदरत के आसमान से अभी और रंग बाकी है, तेरे रंग वह बहुत देख चुका, अब उसकी कामना बाकी है।
कलम.......
शिवम् महाजन
(27 मार्च 2020)