अनूठा प्यार क़ुदरत से .

इस चुप्पी के आलम ने

मुझे मेरे अन्तर मन से मिलाया

क़ुदरत वो करिश्मा है

जिसने यह सब कर दिखलाया


 मैं अकेली हूँ  कहाँ 

साथ मेरे कायनात यहाँ 

पंछी, फूल, गगन है साथी मेरे

है मेरा परिवार यहाँ 


दिखा मुझे मेरे मन का शोर

चुप्पी हुई जब चहुँओर 

जीवन में उठी नई तरंग 

मन नाचा जैसे वन में मोर                     


सरू को इश्क़ फिर एक बार हुआ

क़ुदरत से अनूठा प्यार हुआ

उड़ती देख एक तितली को

मन मेरा क्यों इतना बेक़रार हुआ

 

   -  सरू जैन

      30 मार्च