*आगे बढ़ो!* .

सूरज जैसे चमको तुम

चाँद जैसे दमको तुम

कि तुम्हारी एक नई पहचान बन जाये

आगे बढो! ना क़दम अपने रोको तुम।


पहाड़ो से ऊँचे सपने हो

दुश्मन गैर न कोई सभी अपने हो

अच्छे आचरण, नवीन सोच विचार के गुण लाना तुम

आगे बढ़ो! जैसे आसमान में जीत के फूल लगाने हो।


यह नादिया, यह हवा जो ना रूकती है

हर बारिश जो पथर पर हर रोज पड़ने से ना दुख्ती है

इससे सीखो द्र्ढ संकल्प,ऊर्जावान, शक्तिशाली बन जाना तुम

आगे बढ़ो!हौसलों के तूफान के आगे यह कायनात भी झुक जाती है।


तितली जैसे सेवावान बनो

माता पिता का आदर एक गुणवान बनो

नम्र भावना अपना हँनकार का त्याग लाना तुम

शिवम् आगे बढ़ो! इंसान हो इंसान से महान बनो।

 

- शिवम् महाजन