कविता/कोरोना का कहर /ललित बेरी.

 

आसमां है वीरान

ज़मीं हो गई सुनसान

दूर तलक नहीं कोई इंसान

मिट गया दौड़-धूप का नामोनिशान

मानवता गई है सहम

ए खुदा कर हम पर रहम

ए खुदा कर हम पर रहम