करिश्मे हुआ करते हैं .
विषम से विषम परिस्थितियों से,बुरी से बुरी तिथियों से,
हम यूं ही आहिस्ता निकल जाया करते हैं,
और लोग कहते हैं करिश्मे हुआ नहीं करते हैं ।
अंधेर भरी रातों में, मुश्किल हालातों में,
टिमटिमाते तारों सा जगमगाया करते हैं,
और लोग कहते हैं करिश्मे हुआ नहीं करते हैं ।
दम आखिरी तक दौड़ते हैं,मेहनत ना छोड़ते हैं,
कदम चाहे डगमगा जाया करते हैं,
और लोग कहते हैं करिश्मे हुआ नहीं करते हैं ।
मंजिलों से भटके हैं, तकलीफों में अटके हैं,
हम फिर भी मुस्कुराया करते है,
और लोग कहते हैं करिश्मे हुआ नहीं करते हैं ।
नाउम्मीदी के पिंजरों में,ऊंचे ऊंचे शिखरों में,
अरमानों से सेंध लगाया करते हैं,
और लोग कहते हैं करिश्मे हुआ नहीं करते हैं ।
अश्कों के बीहड़ में, मज़बूरी के कीचड़ में,
निश्छल कामयाब कमल खिलाया करते हैं,
और लोग कहते हैं करिश्मे हुआ नहीं करते हैं ।
हौसलों की उड़ान में, कार्य किसी महान में,
पिछड़े अव्वल आ जाया करते हैं,
और लोग कहते हैं करिश्मे हुआ नहीं करते हैं !
और लोग कहते हैं करिश्मे हुआ नहीं करते हैं !!
------सिद्धार्थ