सुना है प्रदूषण हो रहा है.

ईर्ष्या का कूड़ा मन में भर करके,

मोह के मल को धारण करके,

नहा-धो कर स्वच्छता धारण करके,

कोई कह रहा है....सुना है प्रदूषण हो रहा है। 


चकाचक हर एक कोना करके,

घर साफ़ लेकिन मन भर के,

दूजे के घर आगे करके,

कोई कह रहा है......सुना है प्रदूषण हो रहा है।


बड़ा ताम-झाम उस दिवस पे करके,

दो-चार पौधारोपण करके,

प्लास्टिक बोतल से प्यास बुझा के,

कोई कह रहा है....सुना है प्रदूषण हो रहा है।



हरेक सड़क पर बैनर लगवा के,

खुद को प्रकृति-प्रेमी बतला के,

बुलंदी छूने को वृक्ष कटा के,

कोई कह रहा है....सुना है प्रदूषण हो रहा है।


                                         --कार्तिका सिंह

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