GHAZAL / SHIEBA SAIFI .
मेरा रुतबा, घर देखा है
उसके बाद हुनर देखा है
ये भी एक हुनरमंदी है
झुकता उसका सर देखा है
जो पत्थर को सोना कर दे
ऐसा इक पत्थर देखा है
जिसमें तब सोना उगता था
वो जंगल बंजर देखा है
बिकता बाज़ारों में मैनें
हर सू आज हुनर देखा है
~शीबा सैफी