ज़िन्दगी इक फ़लसफ़ा.
"ये ज़िन्दगी और है ही क्या,इक फ़लसफ़ा ही तो है"
किसी चन्द रोज़ जो कभी ,
ख्याल बुरा आए मेरे दोस्त।।
ज़िन्दगी इतनी भी बुरी नहीं,
याद रखना ए मेरे दोस्त।।
अरे जल्दी ही मान जाएगी,
बस कुछ पल को खफा ही तो है।।
"ये ज़िन्दगी और है ही क्या,इक फ़लसफ़ा ही तो है"
कभी बारिश है बेरहम तो,
कभी रेत का तूफ़ान है।।
तेरे पास खोने को है ही क्या,
फिर तू क्यूं परेशान है।।
अरे निकल जाने दे ना,
कुछ पल की तेज़ हवा ही तो है।।
"ये ज़िन्दगी और है ही क्या,इक फ़लसफ़ा ही तो है"
ये ज़माना है बहुत खराब,
नहीं तेरे लायक चलो मान लिया।।
अगर कोई नहीं साथ तेरे,
तो तूने खुद को ही बुरा जान लिया!!
अरे बिल्कुल नहीं है ऐसा,
खुद के लिए एसी सोच इक ज़फा ही तो है।।
"ये ज़िन्दगी और है ही क्या,इक फ़लसफ़ा ही तो है"
चाहे मुश्किलें हज़ार हों,
हों रास्ते कितने कठिन।।
मंजिलों को तो बस पाना है,
तुझे किन्हीं साधनों के बिन।।
नाकाम हुआ सिद्धार्थ तो क्या,
लड़ कर हारना भी एक नफा ही तो है।।
"ये ज़िन्दगी और है ही क्या,इक फ़लसफ़ा ही तो है"
--- सिद्धार्थ