ऐ जिन्दगी!.

ना हम खाक होंगे,ना हम राख होंगे

तुम जितना तड़पाओ उतना आबाद होंगे

ऐ जिन्दगी!


ना हूँ थक रहा,ना हूँ रुक रहा

तुम मुझे और कितना आजमाओगी

ऐ जिन्दगी!


तेरे हर ज़ख्म को हंसी से मरहम देंगे

देखना तुम हैरान हो जाओगी

ऐ जिन्दगी!


जीना तो फरेब हैं ,तू तो है मौत

कब तक चेहरा तुम छिपायोगी

ऐ जिन्दगी!


वो आंखें वो चेहरा आता है ख्वाब में

तुम बताओ उससे मुलाकात कब करवाओगी

ऐ जिन्दगी!


                                          - गुरदीप सिंह