अंजुली .

सुनसान पड़ी राहों में 

चुप हुई इन फ़िज़ाओं में

धैर्य , प्रेम, हौंसले को 

रोज़ अंजुली में  भरती हूँ 

बहती हुई इन हवाओं से 

उनको आगे करती हूँ। 


पक्षियों से बातें  करती हूँ 

वो प्यार के गीत गुनगुनाएँ

उड़ कर डाल - डाल यूँ ही 

घर घर मैं ख़ुशी फैला आएँ ।


अंजुली में  भरकर ढ़ेर दुआएँ डाक्टर , पुलिस, सफ़ाईकर्मी

सबके घर पहुँचाती हूँ 

जो डर के आगे चलते हैं 

हौसलों से रोज़ निकलते हैं ।


राहें मुश्किल पर हो जायेगीं आसान 

संकट है कुछ दिन का मेहमान 

लौटेंगी सब ख़ुशियाँ तमाम 

खिल उठेगा फिर कुल जहान

क्यूँकि मेरा भारत है महान ।

                             - सरू जैन