लगाव .
खयालों में उनसे
यूं गुफ्तगू हुई
न वो बोले
ना हम बोले
सदियों की दूरियां
कुछ सिमट तो गई
पर लबो पे हरकत
ना उनके हुई
ना हमारे हुई
फिर भी बहुत कुछ
कह गई आंखें
आंसु�"ं की बरसात में
बह गई बातें
पसरा सन्नाटा जो दरमियां
शब्दों का अकाल पड़ गया
ना वो बोले
ना हम बोले
- ललित बेरी