किताबों की दुनिया .

जो लिखा हो बेहतर तो गीत है वो,

जो धुन हो बेहतर तो संगीत है वो।।

किताबों की दुनिया अलग जनाब,

हर उम्र की सच्ची मनमीत है वो ।।


ना आबरू की फ़िक्र इन्हें,

ना चोरी का कोई डर इन्हें।।

चन्द पन्नों की काया इसकी,

फिर भी कहते हैं अमर इन्हें।।


किसी के इनमें होते दर्द बयान,

कहीं करती ये कुदरत का बखान।।

इस मोह माया की दुनिया में ये,

सरल ज्ञान का स्रोत महान।।


लम्बी दास्तान दर्ज है इसमें,

पिछड़े वक्त के हालों की,

कोई सूरमा,कोई काफ़िर,

वतन पर मरने वालों की।।


अमृत मंथन क्यों किया,

जब ज्ञान का सागर पुस्तक है।।

मन मस्तक को उजागर कर,

यही एक सहारा तुम तक है।।


सिद्ध पुरुषों की वाणी जिसमें,

बाल कहानी भी है इसमें।।

है समय समय की बात सिद्धार्थ,

किसकी रुचि होती किसमें।।


किताबों जैसी दुनिया सारी,

हर पन्ने पर है नयी कहानी।।

जब तक चाहो सुनते जाओ,

सुनने में है कैसी हानि।।

                      -- सिद्धार्थ