नाम अमर हो जाएगा.

दूर कहीं शमशान से,

आई एक आवाज,

जो कह रही थी कुछ लफ्जों में,

जिंदगी की एक सच्ची बात।


क्यों भटक रहा है बंदे,

 तू दरबदर,

आखिर तू एक दिन,

मेरे ही पास आएगा।


कर मुकम्मल तू जिंदगी,

यू वक्त ना बर्बाद कर।


कुछ ऐसा कर जा तू,

याद करता रहे संसान तुझे।


एक बात का तू रखना ख्याल,

ना करना कभी खुद पर गुमान,

बना है तू मिट्टी से,

मिट्टी में मिल जाएगा,

आखिर तू एक दिन,

मेरे ही पास आएगा।


जो भी संजोया है तूने धन दौलत,

वो कहां तू साथ लेकर जाएगा,

आया था खाली हाथ,

आखिर खाली हाथ ही जाएगा।


है करना तो कुछ अच्छे कर्म कर,

ज़िन्दगी को अपने सफल कर,

चाहे तू ना रहा इस जहां में,

तेरा नाम अमर हो जाएगा।

                            - दीपक ठाकुर