मेरे एहसास.

जज्बातों को दफनाने की महफ़िल सजी

 तो मैंने भी उसमे हिस्सा लिया

क्या बताएं किस तरह हमने 

अपना एहसास उनसे ज़ाहिर किया

बात चली जब उनके हुस्न की तारीफ की

मेरे लफ़्ज़ों से मेरे एहसास अश्क की तरह बहे और 

उनके अंदर दफ्न हुए जज्बातों को मैंने ज़िंदा कर दिया

                                                     - Anmol Siyal