ज़िन्दगी के मोड़ पर खड़ा शायर.

 


ज़िन्दगी के हर मोड़ पर,

मैंने इक शायर खड़ा देखा।


किसी को खुश,

तो किसी को तन्हा देखा।


रोशनी में भी मैंने,

अंधेरे को आते देखा।


हां मैंने कई रिश्तों को जुड़ते,

और टूटते देखा।

                 - दीपक ठाकुर